दमदम गोलाघाट सम्मोलनी दुर्गोत्सव समिति ने अपने 47वें वर्ष में एक बार फिर सामाजिक जागरूकता की अनूठी मिसाल पेश की। इस वर्ष समिति ने तलाक की बढ़ती दर के खिलाफ, विशेष रूप से बच्चों के अधिकार और मानसिक स्वास्थ्य को केंद्र में रखते हुए, एक जागरूकता मार्च का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम का मूल संदेश था — “बच्चे की खातिर तलाक रोका जाना चाहिए।” आयोजकों ने स्पष्ट किया कि यह तलाक के खिलाफ नहीं, बल्कि ऐसी सामाजिक व्यवस्था के विरोध में है जो बच्चों को उनके माता-पिता और दादा-दादी के स्नेह से वंचित करती है।
समिति का मानना है कि:
“क्या बच्चे को जन्म देने से माता-पिता और दादा-दादी अलग हो सकते हैं? हम एक ऐसी संस्कृति को नहीं अपना सकते जो बच्चों को उनके मूल भावनात्मक आधार से दूर कर दे।”
पश्चिमी संस्कृति की नकल पर भी सवाल उठाए गए और भारतीय पारिवारिक मूल्यों को सहेजने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
महिलाओं और उनके बच्चों की सक्रिय भागीदारी ने इस मार्च को एक सशक्त और भावनात्मक अभिव्यक्ति बना दिया।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख अतिथियों में शामिल थे:
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पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक मंत्री श्री सुजीत बोस
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दक्षिण दमदम नगर पालिका के मेयर श्री निताई दास
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चित्रकार श्री सुब्रत गंगोपाध्याय
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विशिष्ट अतिथि श्रीमती नंदिनी भट्टाचार्य
गोलाघाट सम्मोलनी दुर्गोत्सव समिति के पदाधिकारी भी इस आयोजन में सक्रिय रहे:
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अध्यक्ष: श्री दिनेश जैन
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उपाध्यक्ष: श्री रमेश पटेल
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सचिव: श्री शंकर सरकार
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कोषाध्यक्ष: श्री अरूप माझी, गुरुपद साहा, रॉबिन मलिक
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आयोजन संयोजक: श्री मानश रॉय
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मंडप डिज़ाइनर: दीपेन मंडल
मार्च का उद्देश्य था समाज में पारिवारिक एकता, बच्चों की भलाई और रिश्तों की गरिमा को पुनर्स्थापित करना। गोलाघाट सम्मोलनी दुर्गोत्सव समिति हर वर्ष अपनी पूजा के माध्यम से किसी न किसी समसामयिक सामाजिक मुद्दे पर प्रभावशाली संदेश देती आई है — और इस वर्ष का विषय निश्चित रूप से समाज को सोचने पर मजबूर करता है।

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