
प्रसिद्ध संत और समाजसेवी स्वामी त्रैलोक्यानंदजी महाराज ने हाल ही में अपनी नई पुस्तक ‘आउट ऑफ द ऑर्डिनरी’ का विमोचन किया। यह पुस्तक उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण और जीवन की सरलता को लेकर एक नई सोच प्रस्तुत करती है।
स्वामी त्रैलोक्यानंद महाराज का मानना है कि आजकल के जीवन में लोग अपनी मानसिक शांति और संतुलन खो बैठते हैं। अवसाद और तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए यह पुस्तक एक सशक्त समाधान हो सकती है। स्वामीजी का कहना है, “यदि आप अवसादग्रस्त हैं और दवाइयों के बजाय एक अच्छी किताब पढ़कर अपनी समस्याओं का हल ढूंढ सकते हैं, तो यह बहुत बेहतर होगा।”
‘आउट ऑफ द ऑर्डिनरी’ मूल रूप से जीवन की सादगी को समझने और जीने की एक पहल है। स्वामी त्रैलोक्यानंदजी महाराज ने बताया कि हम अक्सर अपने रोजमर्रा के अनौपचारिक कार्यों में इस कदर व्यस्त हो जाते हैं कि हम ‘जीवन जीने’ की बजाय ‘जीवन जीने के विचार’ में उलझे रहते हैं। वह आगे कहते हैं, “हम अपनी बहुमूल्य ऊर्जा और समय का बड़ा हिस्सा चिंताओं, भविष्य के बारे में विचारों और अतीत के भय में बिता देते हैं।”
पुस्तक में स्वामीजी ने यह भी बताया कि जीवन अब अपनी मूल स्थिति में वापस नहीं लौट सकता, और यह स्थिति हमारे जीवन के हर पहलू में झलकती है। उन्होंने इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को अपने जीवन के छोटे-छोटे क्षणों को महसूस करने और उसे एक नए दृष्टिकोण से जीने की प्रेरणा दी है।
स्वामी त्रैलोक्यानंदजी की यह पुस्तक न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की शांति की तलाश करने वाले सभी लोगों के लिए एक गहन संदेश देती है।