फ्यूचर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर एक भव्य और यादगार समारोह का आयोजन किया, जिसने सभी को भावुक कर दिया और आश्चर्यचकित भी।
इस विशेष अवसर पर संस्थान के शिक्षक और कर्मचारी अपने पारंपरिक शिक्षकीय अवतार से अलग नजर आए। पूरी तरह से मीटिंग मोड में दिखने वाली इंजीनियरिंग की एक प्रोफेसर ने जैसे ही ‘याद पिया की आने लगी’ गाना गाया, हॉल तालियों से गूंज उठा। वहीं, जिसे वह एआई पढ़ाती हैं, वह छात्रा सितार पर झूम उठी। तबले की थाप पर एडमिन डिपार्टमेंट भी पीछे नहीं रहा।
कार्यक्रम की खूबसूरती यहीं खत्म नहीं हुई। एक अन्य इंजीनियरिंग प्रोफेसर ने प्रोफेशनल अंदाज में गाकर सबका दिल जीत लिया। इस दिन को हर किसी ने अपनी “मन की किताब” में दर्ज कर लिया। यह शाम शिक्षकों की उन छुपी प्रतिभाओं को समर्पित थी, जो आमतौर पर क्लासरूम की सीमाओं में बंधी रह जाती हैं।
कार्यक्रम का थीम भी गहराई लिए हुए था – शिक्षा प्रणाली का विकास: चाक और स्लेट से डिजिटल युग तक। मंच पर जहां एक ओर इंजीनियरिंग विभाग की शिक्षिका सितार बजाती दिखीं, वहीं पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने उद्घोषणा की जिम्मेदारी संभाली। कॉमर्स विभाग के शिक्षक रंगमंचीय नृत्य प्रस्तुतियों में हिस्सा ले रहे थे।
यह नजारा किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था – जैसे “3 इडियट्स” के तीन दोस्तों की कहानी मंच पर उतर आई हो। यह आयोजन इस संदेश के साथ आया कि शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि मन और आत्मा की सम्पूर्ण अभिव्यक्ति है।
इस अविस्मरणीय आयोजन में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:
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डॉ. आलोक के. घोष – कार्यकारी निदेशक, फ्यूचर एजुकेशन
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डॉ. आशीष के. डे – प्राचार्य, एफआईटी
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डॉ. अनिरबन मजूमदार – एफबीएस
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डॉ. अनिरबन चक्रवर्ती – एफएमएस
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डॉ. पार्थ प्रदीप पांजा – एफसीएस, सोनारपुर
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शर्मिला चटर्जी – एफसीएस, बराल
यह दिन न केवल संस्थान की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि यह भी याद दिलाने वाला क्षण बना कि हर शिक्षक, हर कर्मचारी के भीतर कोई न कोई कलाकार छिपा होता है – बस जरूरत होती है एक मंच की, एक मौके की।
