
प्रसिद्ध लेखिका डॉ. सुचेतना डे की आठवीं पुस्तक “परिचय-चेतना जिंदगी की” का हाल ही में विमोचन हुआ। इस पुस्तक का संपादन रिया राय मित्रा ने किया है, जबकि प्रकाशन आर.पी लिथो द्वारा किया गया।
“परिचय-चेतना जिंदगी की” एक कविताओं का संग्रह है जो पाठकों तक कुछ महत्वपूर्ण भावनाओं को पहुंचाता है। इस पुस्तक में कविता के जरिए कभी खूबसूरत वादियों की तस्वीर पेश की गई है, कभी जिंदगी की सादगी की बात की गई है, तो कभी धैर्य के टूटने और खुद को ढूंढने की कोशिश का वर्णन किया गया है। कविताओं में ख्वाहिशों को दूर भगाने और प्यार की तपिश को महसूस कराने वाले शब्दों की माला भी मिलती है, साथ ही दिल से निकली दर्द भरी कहानियां भी पाठकों के दिलों को छूने का काम करती हैं।
“परिचय-चेतना जिंदगी की” एक ऐसी किताब है जो शायरी के अंदाज में लिखी गई है और अपने भावों के जरिए पाठकों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश करती है। यह किताब बताती है कि कलम की ताकत कभी कम नहीं होती और यह शायरी पाठकों तक अपने भावनाओं के सागर को पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन सकती है।
डॉ. सुचेतना डे की अन्य किताबों में “बेखौफ बातें”, “चक्र जीवन”, “अर्जी”, “अधूरी मुलाकात”, और “कला” शामिल हैं, जो पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
यह पुस्तक भारतीय जनवार्ता गेट 3, स्टॉल 160 पर उपलब्ध है, जहां पाठक इसे खरीद सकते हैं और शायरी की इस खूबसूरत यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं।