अंतरराष्ट्रीय जलंगी पत्रिका ने अपने प्रकाशन के 19वें वर्ष का सफल समापन कर लिया। इस वर्ष वार्षिक जलंगी साहित्य उत्सव मात्र एक दिन में आयोजित किया गया। प्रारंभिक वर्षों में यह कार्यक्रम दो दिनों तक चलता था, बाद में इसे चार दिनों तक विस्तारित किया गया था, जिसमें अतिथियों के भोजन व आवास की विशेष व्यवस्था रहती थी।
इस वर्ष भी दूर-दूर से साहित्यप्रेमी जलंगी पहुँचे, लेकिन किसी ने ठहराव नहीं किया। साहित्य और लिटिल मैगज़ीन आंदोलन के प्रति संपादक श्रीमती चिन्मयी विश्वास की प्रतिबद्धता एक बार फिर प्रमुख आकर्षण रही। साहित्य के लिए उनका निरंतर प्रयास ही जलंगी पत्रिका की पहचान बन चुका है।
हर अंग्रेजी महीने के पहले शुक्रवार को जलंगी पत्रिका कार्यालय में मासिक साहित्यिक बैठक होती है, जबकि प्रतिदिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साहित्यिक संवाद चलते रहते हैं। साहित्य को केंद्र में रखकर सभी को एक सूत्र में बाँधने की उनकी निरंतर साधना ने जलंगी पत्रिका का नाम पूरे भारत में फैला दिया है।
आज के आयोजन में जलंगी पत्रिका तथा श्रीमती चिन्मयी विश्वास की काव्यकृति का औपचारिक विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम में अमेरिका निवासी दो प्रवासी बंगाली— नचिकेत मिट्रा और निखिल हालदार—की विशेष उपस्थिति रही। समारोह के अध्यक्ष थे प्रतिष्ठित कवि कमल दे शिकदार।
मुख्य अतिथियों में शामिल थे—
प्रसिद्ध कवि एवं संपादक अरूप चंद (बहरेरामपुर),
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रामपद विश्वास,
गोपाल कृष्णदास सरकार, प्रवीर मंडल (कैनिंग),
दीनेंद्र चंद्र हाजरा (रानाघाट),
मिलन बसु, कवि प्रलय बसु,
सुनिति बिकाश चौधुरी, दीनेंद्र चंद्र भट्टाचार्य,
कल्याण कुमार सरकार, साधन हालदार,
शिव सौम विश्वास, स्वप्ना राय, मल्लिका राय,
साहाना ज़मान, रीमा सिकदार, अभिजीत विश्वास,
डॉ. सुजन कुमार बाला, स्वप्न पाल, ननी गोपाल मंडल,
देबाशीष प्रधान, रतिकांत मलाकार,
अतनु चट्टोपाध्याय, दीपक मंडल,
कवि सुषांत घोष,
और प्रकाशक निगमानंद मंडल, काशीनाथ दास चक्कलदार,
बसंंत पाल, राधेश्याम सरदार, उत्तम कुमार पाल,
विमान कुमार भट्टाचार्य, सत्य रंजन मंडल,
तनिमा मुखर्जी, अजंता आढ़्य,
कामाक्ष रंजन दास, शिव शंकर बक्सी,
विपुल पाल चौधरी, समर शंकर चट्टोपाध्याय,
कीर्ति शेखर भौमिक तथा अनेक अन्य गणमान्य साहित्यकार।
संचालन किया कवि आशीष गिरी ने, जबकि प्रबंधन में आशीष गिरी के साथ राधेश्याम सरदार, तापसी दत्ता, दीपक मंडल, कामाक्ष रंजन दास और अजंता आढ़्य सक्रिय रहे।
कार्यक्रम सुबह 10 बजे आरंभ हुआ। उद्घाटन संगीत प्रस्तुत किया सुदेव दास ने। स्थल पर मोमबत्ती प्रज्वलन के साथ औपचारिक शुरुआत की गई। अतिथियों का स्वागत उत्तरीय, बैज, पुष्पगुच्छ, मानपत्र और स्मृति-चिह्न देकर किया गया।
विशेष रूप से, आमंत्रित अतिथियों के हाथों जलंगी नदी के जल से भरा “मईलघट” मंच पर स्थापित किया गया, जो कार्यक्रम की परंपरागत गरिमा का प्रतीक रहा।
सभी अतिथियों की शुभकामनाओं और साहित्यप्रेमियों के उत्साह के साथ समारोह शाम आठ बजे तक चलता रहा। कविता, गीत और आवृतियों से सजे इस अंतरराष्ट्रीय जलंगी उत्सव की सफलता ने एक बार फिर साहित्यिक समुदाय को प्रेरित किया।

