जब कोलकाता के एमएसएमई-डीएफओ सभागार में ग्रामीण भारत के उद्यमियों, वैज्ञानिकों, और सामाजिक नेताओं ने कदम रखा, तब केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की एक यात्रा शुरू हुई।
एफपीसी, कृषि और मत्स्य उद्यमों के लिए आयोजित इस उद्यमिता विकास कार्यक्रम ने 50 से अधिक ग्रामीण नवप्रवर्तकों को एक मंच पर लाकर, उन्हें जानकारी, संसाधन और आत्मविश्वास से लैस किया।
संस्थान, जो परिवर्तन के साथ खड़े हैं:
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एमएसएमई-डीएफओ कोलकाता द्वारा आयोजित
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राष्ट्रीय कुटीर एवं लघु उद्योग चैंबर (एनसीसीएसआई) के सहयोग से
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ऑल इंडिया वेलफेयर एसोसिएशन का समर्थन
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साधन सत्य वेलफेयर ट्रस्ट (एसएसडब्ल्यूटी) द्वारा उत्कृष्ट संचालन
जहाँ नेतृत्व ने दिशा दिखाई
कार्यक्रम में सरकार और उद्योग के कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे, जिनकी उपस्थिति ने इसकी गंभीरता को और सुदृढ़ किया:
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श्री पी.के. दास, संयुक्त निदेशक एवं एचओओ, एमएसएमई-डीएफओ – मुख्य अतिथि
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श्री अचिंत्य भट्टाचार्य एवं श्री बिपुल डे – सहायक निदेशक, एमएसएमई-डीएफओ
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आईसीएआर, नारियल विकास बोर्ड, केवीआईसी, और मत्स्य विभाग के विशेषज्ञ
जहाँ बातें नहीं, समाधान हुए साझा
प्रशिक्षण सत्रों में ग्रामीण उद्यमियों को सीधा मार्गदर्शन मिला:
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रागामोनी चटर्जी (SRMB समूह) ने सीएसआर की भूमिका समझाई
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सौमिक बनर्जी (SBI) ने वित्तीय पहुंच और ऋण सहायता पर चर्चा की
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एनसीसीएसआई टीम ने व्यवसाय मॉडल, नेतृत्व कौशल और संस्थागत सहयोग पर प्रकाश डाला
इस दौरान पांच ग्रामीण नवप्रवर्तकों ने अपने उत्पादों का लाइव डेमो प्रस्तुत किया — जिसकी वजह से मौके पर ही बिक्री और निवेशकों की रुचि देखने को मिली।
प्रेरणा जिसने हर दिल को छुआ
इस कार्यक्रम का सबसे मार्मिक क्षण तब आया, जब मंच पर आए श्री देबाशीष मैती। 80% दिव्यांगता और व्हीलचेयर पर निर्भर होने के बावजूद, उन्होंने 100 से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर बनने की राह दिखाई। उनके समर्पण को सम्मानित करते हुए, एनसीसीएसआई ने उन्हें आजीवन सदस्यता प्रदान की — जो हर किसी के लिए एक प्रेरणा बन गई।
परिणाम जो सिर्फ आँकड़े नहीं, बदलाव हैं
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50+ किसान उत्पादक कंपनियों और स्टार्टअप्स की सक्रिय भागीदारी
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सरकारी योजनाओं, डिजिटल अनुपालन, और बाजार तक पहुंच पर गहन मार्गदर्शन
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नीतिनिर्माताओं, बैंक अधिकारियों और उद्यमियों के बीच प्रभावी नेटवर्किंग
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प्रतिभागियों ने कार्यक्रम के बाद साझा किया — “अब हमें पता है कि आगे कैसे बढ़ना है।”
सम्मान और उत्तरदायित्व का संगम
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डॉ. तपस डे, सामाजिक वैज्ञानिक एवं एनसीसीएसआई के अध्यक्ष, की कुशल नेतृत्व में यह कार्यक्रम स्थानीय सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया।
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श्री प्रसेनजीत चौधुरी, एसएसडब्ल्यूटी के संस्थापक, को एनसीसीएसआई के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में सम्मानित किया गया — ग्रामीण भारत में उनकी दशकभर की सेवा के लिए।
संस्थाएं जो इस बदलाव की रीढ़ बनीं:
आरएएलएस, माइक्रोलोजिया, और आनंदमयी ग्रुप ऑफ कंपनीज — जिन्होंने इस आयोजन को समर्थन देकर सामाजिक जिम्मेदारी का आदर्श प्रस्तुत किया।
अंत में…
यह कार्यक्रम किसी उत्सव से कम नहीं था — यह नीति से प्रगति, विचार से क्रिया, और संघर्ष से समाधान की यात्रा थी। कोलकाता में शुरू हुई यह लहर अब गांव-गांव तक पहुंचेगी, जहाँ हर छोटा किसान भी एक बड़ा उद्यमी बन सकता है।

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