‘गानेवाले’ की दूसरी वर्षगांठ पर संगीतमय संध्या रही बेहद सफल

आठ उत्साही वरिष्ठ नागरिकों से बना ‘गानेवाले’ समूह ने अपनी दूसरी वर्षगांठ काला मंदिर में एक यादगार संगीतमय संध्या के साथ मनाई। खचाखच भरे ऑडिटोरियम और मंत्रमुग्ध दर्शकों के बीच आयोजित इस कार्यक्रम ने सभी को आख़िर तक बाँधे रखा और अंत में दर्शक और भी गीत सुनने की इच्छा जताते रहे।

‘गानेवाले’ की स्थापना श्री मधुसूदन दास मुंधड़ा ने संगीत-प्रेम और जीवनभर की गायन की अभिलाषा को पूरा करने के उद्देश्य से की थी। इस वर्ष की वर्षगांठ विशेष रही क्योंकि पहली बार महिला गायिकाएँ भी समूह में शामिल हुईं। पिछले वर्ष ज्ञान मंच में हुए प्रथम वर्षगांठ समारोह की सफलता के बाद, इस बार का आयोजन और भी यादगार साबित हुआ।

कार्यक्रम में एकल, युगल और समूह प्रस्तुतियों का शानदार संगम रहा, जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। समूह के प्रतिभाशाली सदस्यों – श्री श्याम सुंदर डागा, श्री चंद्र नारायण मोहता, श्री प्रकाश मिमानी, श्री विजय दमानी, श्री माधव पी. मोहता, श्री राज बागड़ी, श्री बलेश बागड़ी, श्रीमती मंजू भट्टड़, श्रीमती शिखा डागा और श्रीमती रितिका ठवानी – की प्रस्तुति ने सभी को मोहित कर लिया। संस्थापक श्री मुंधड़ा स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में भाग नहीं ले सके और अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन उनकी उपस्थिति की कमी को भी समूह ने अपने सुरों से भर दिया।

शाम के मुख्य आकर्षण में सदाबहार फ़िल्मी गीतों की आत्मीय प्रस्तुतियाँ और एक भावपूर्ण ग्रुप मेडले शामिल रहा। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शक अपनी सीटों से बंधे रहे और संगीत के सुरों में खोए रहे।

कार्यक्रम की अपार सफलता ने समूह के प्रयासों को और भी सराहना दिलाई। समूह अध्यक्ष श्री बलेश बागड़ी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा –
“दर्शकों की ऊर्जा अद्भुत थी। यह हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जुनून को आगे भी साझा करते रहें। हम तीसरी वर्षगांठ को और भी भव्य और यादगार बनाएंगे।”

‘गानेवाले’ के बारे में:
‘गानेवाले’ कोलकाता स्थित एक संगीतमय समूह है, जिसमें वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। यह समूह अपने जुनून और आनंद के लिए गाता है। इसका उद्देश्य सदाबहार धुनों की परंपरा को जीवित रखना और समाज के साथ संगीत का प्रेम बाँटना है।

‘गानेवाले’ की दूसरी वर्षगांठ पर संगीतमय संध्या रही बेहद सफल

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