गुरु पूर्णिमा पर डॉ. एस. के. अग्रवाल को ‘प्रज्ञानंद’ की उपाधि से सम्मानित किया गया

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक भावपूर्ण एवं आध्यात्मिक वातावरण में आयोजित समारोह में डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल को उनके समर्पित शिष्यों द्वारा ‘प्रज्ञानंद’ की सम्माननीय उपाधि से अलंकृत किया गया। यह उपाधि उन्हें आध्यात्मिक विज्ञान और आंतरिक कल्याण के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान की मान्यता स्वरूप प्रदान की गई। यह गरिमामय आयोजन 10 जुलाई 2025 को कोलकाता के रवींद्र सदन परिसर स्थित अबनींद्र सभागार में संपन्न हुआ।

यह प्रतिष्ठित उपाधि हैलो कोलकाता द्वारा डॉ. अग्रवाल को प्रदान की गई, जिन्होंने प्रज्ञान क्रिया और आनंद धारा मेडिटेशन जैसी दो प्रभावशाली साधनाओं का सृजन किया। ‘प्रज्ञानंद’ नाम ‘प्रज्ञान’ (बोध, जागरूकता) और ‘आनंद’ (परमानंद) का संगम है, जो उनके शिक्षण की मूल भावना को दर्शाता है – आंतरिक चेतना को स्थायी आनंद से जोड़ना।

इस समारोह में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक विशिष्ट व्यक्तित्वों ने भाग लिया और डॉ. अग्रवाल के समर्पित सेवा कार्यों और आध्यात्मिक नवाचारों को आदरपूर्वक नमन किया। उपस्थित गणमान्यजनों में प्रो. डॉ. प्रताप रंजन हज़रा, आर. आर. अग्रवाल, एडवोकेट वासुदेव अग्रवाल, पवन सराफ, संजीव शर्मा, सुमित सोनी, गीता सिन्हा, मोहम्मद बदरुद्दीन, सरिता जायसवाल, अनीश मोदी, आशीष बसाक, गुरप्रीत सिंह, डॉ. सी. एन. भट्टाचार्य, डॉ. नमिता चक्रवर्ती, एडवोकेट मनोजित बनर्जी, बीना खुरासिया, सुशील कुमार शाह, तपस साहा, सुरेश गुप्ता, सुप्रतीप मजूमदार, सेवा गुप्ता, मिता राय और कई अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे।

पूरा वातावरण श्रद्धा, भक्ति और कृतज्ञता से परिपूर्ण था, जहाँ शिष्यों और शुभचिंतकों ने डॉ. अग्रवाल की करुणामयी मार्गदर्शना और जीवन-परिवर्तनकारी साधनाओं के लिए हार्दिक सम्मान प्रकट किया। ‘प्रज्ञानंद’ उपाधि का यह अलंकरण न केवल डॉ. अग्रवाल के लिए एक व्यक्तिगत उपलब्धि थी, बल्कि यह संपूर्ण मानवता के लिए आध्यात्मिक चेतना और सेवा का एक सामूहिक उत्सव भी बन गया।

यह सम्मान डॉ. एस. के. अग्रवाल की बढ़ती हुई विरासत का प्रतीक है – एक ऐसे प्रकाश स्तंभ के रूप में जो आत्मज्ञान, चैतन्य और आंतरिक शांति की ओर जिज्ञासुओं को मार्ग दिखा रहे हैं।

गुरु पूर्णिमा पर डॉ. एस. के. अग्रवाल को ‘प्रज्ञानंद’ की उपाधि से सम्मानित किया गया

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