चार पল্লी की श्यामा पूजा का शुभारंभ

सौम्य बॉक्सी और स्मिता बॉक्सी के प्रयास से आयोजित चार पल्लियों की श्यामा पूजा का उद्घाटन हुआ। युवा तृणमूल की स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर यह पूजा पूरी तरह बंगाल और बांग्ला अस्मिता के प्रश्न को सामने रखकर शुरू की गई।

शक्ति की आराधना, वास्तविक नारियों का सम्मान

इस श्यामा पूजा का मूल मंत्र है—शक्ति की साधना का अर्थ केवल देवी को धूप–धुनो अर्पित करना नहीं, बल्कि उन वास्तविक महिलाओं को सम्मान देना है जो रोज़मर्रा के जीवन में शक्ति का प्रतीक बनकर समाज को दिशा दे रही हैं। इसी कारण उद्घाटन समारोह में पाँच विशिष्ट महिलाओं को सम्मानित किया गया—

  • महिला बस चालक प्रतिमा पोद्दार

  • महिला डोम टुम्पा दास

  • पुलिस अधिकारी तनुश्री मजूमदार

  • मिट्टी शिल्पकार माला पाल

  • महिला पुजारी नंदिनी भौमिक

इनके हाथों में शॉल, श्रीफल और पुष्पगुच्छ भेंट किए गए।

विशिष्ट अतिथि उपस्थिति

इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे—

  • मंत्री शशि पांजा

  • मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य

  • सांसद सायनी घोष

  • नगर प्रमुख एलोरा साहा

  • संदीपन साहा, रंजन पाल

  • पार्षद संदीप रंजन बॉक्सी

  • वरिष्ठ नेता शक्ति प्रसाद सिंह

सभी अतिथियों को आयोजन समिति की ओर से स्मारक सम्मान प्रदान किया गया। उद्घाटन गणेश वंदना से हुआ। इसके बाद अतिथि अभिनंदन, सम्मान समारोह और महिलाओं को felicitations कार्यक्रम से पूजा के पहले ही दिन का माहौल सांस्कृतिक प्रस्तुति, चर्चा और विरोध की चेतना से सराबोर हो उठा।

सायनी घोष की प्रतिक्रिया

सांसद सायनी घोष ने कहा—
“मैं 2018 से इस पूजा के साथ जुड़ी हूँ। अब यह मेरे घर की पूजा है। हमारी माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रेरणा से इस क्लब ने यह पहल की है। माँ काली और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से हम बंगाल की संस्कृति को और अधिक व्यापक स्तर पर फैलाना चाहते हैं।”

नया संदेश

स्मिता बॉक्सी ने कहा—
“वास्तविक जीवन में जो महिलाएँ हर दिन संघर्ष करके समाज को आगे बढ़ा रही हैं, वही असली शक्ति हैं। उन्हीं को प्रणाम कर हम माँ काली का आह्वान करते हैं—यही हमारे पूजा का मुख्य संदेश है।”

निष्कर्ष

चार पल्लियों की यह श्यामा पूजा सिर्फ धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि बंगाल और बांग्ला अस्मिता की रक्षा का आह्वान है। यह वास्तविक जीवन की नारियों की शक्ति को सम्मान देने का अनोखा प्रयास है।

27 अगस्त से शुरू हुई यह पूजा आने वाले समय में बंगाल की संस्कृति के एक नए स्वरूप के रूप में याद रखी जाएगी।

चार पল্লी की श्यामा पूजा का शुभारंभ

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