भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन (JJM) के तहत देश के हर ग्रामीण घर तक पाइप से स्वच्छ जल पहुंचाने का सपना देखा गया था। यह महत्वाकांक्षी योजना 2024 तक पूरी होनी थी, लेकिन अब इसे 2028 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, इस मिशन के क्रियान्वयन के दौरान उत्पन्न तमाम अड़चनें और आर्थिक संकट अब ठेकेदारों की आजीविका पर भारी पड़ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल समेत अधिकांश राज्यों में जल जीवन मिशन में राज्य और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50-50 रही है। शुरूआती दौर में राज्य में इस मिशन के कार्य पूरे जोश से शुरू किए गए, लेकिन 2020 की शुरुआत में वैश्विक महामारी कोविड-19 ने इस प्रक्रिया को बाधित कर दिया। लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों के कारण जल जीवन मिशन के अधिकांश कार्य बाधित हुए।
इसके बाद जैसे ही कार्य दोबारा शुरू हुए, जल संसाधनों की अनुपलब्धता, भूमि विवाद, स्थानीय बाधाएं, अधूरी DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) और पाइपलाइन या जलाशय के अभाव में महज़ कागज़ी प्रगति होती रही। कई जिलों में नल कनेक्शन तो दे दिए गए, लेकिन जल भंडारण या आपूर्ति की व्यवस्था ही नहीं थी। कई स्थानों पर पुराने जलाशयों से दिखावे के लिए पानी पहुंचाया गया, लेकिन वह स्थायी समाधान नहीं था।
गंभीर आर्थिक संकट में ठेकेदार
अब स्थिति यह है कि जल जीवन मिशन के तहत काम करने वाले हज़ारों ठेकेदारों को पिछले सात महीनों से कोई भुगतान नहीं मिला है। उन्हें केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2024 के बाद से कोई राशि नहीं मिली है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, राज्य के पीएचई ठेकेदारों का ₹4000 करोड़ से अधिक बकाया है, जबकि राज्य सरकार ने अब तक महज़ ₹800 करोड़ की सहायता दी है।
यह संकट सिर्फ जल जीवन मिशन तक सीमित नहीं है। ठेकेदार अन्य परियोजनाओं जैसे वार्षिक रखरखाव, आपातकालीन कार्य, सूखा निवारण, आपदा समाधान आदि में भी सक्रिय हैं, जहां पर भी राज्य सरकार का ₹2000 करोड़ से अधिक बकाया है। इसके चलते ठेकेदारों ने बैंक ऋण, बाज़ार से उधारी, और अपने परिवारों की संपत्ति तक दांव पर लगा दी है। अब यह संकट उनके अस्तित्व का सवाल बन चुका है।
लगातार आंदोलन की राह पर ठेकेदार
इस गहराते संकट को देखते हुए ऑल बंगाल पीएचई कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (सिविल) ने अब विरोध और आंदोलन की राह पकड़ ली है।
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12 फरवरी 2025: सभी जिलों में जिला अधिकारियों के समक्ष धरना और जुलूस
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1 मई 2025 और 4 मई 2025: मंत्री से मुलाकात कर मांगे रखी
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26 मई 2025: मुख्यमंत्री और अन्य संबंधित मंत्रियों को पत्र भेजा
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29 मई 2025: मुर्शिदाबाद पीएचई कार्यालय के सामने सफल विरोध प्रदर्शन
आज, 11 जून 2025 को, राज्यभर के ठेकेदार कोलकाता के गणेश चंद्र एवेन्यू स्थित सुवर्ण बनिक समाज मीटिंग हॉल में इकट्ठा हुए हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य सरकार को यह संदेश देना है कि यदि जल्द भुगतान की व्यवस्था नहीं हुई, तो हज़ारों परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे।
सरकार से गुहार
ठेकेदारों ने मांग की है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर जल्द से जल्द लंबित भुगतानों की व्यवस्था करें, ताकि उनके कार्य फिर से सुचारू रूप से शुरू हो सकें और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी बच सके।
“अगर सरकार इस कठिन समय में हमारे साथ नहीं खड़ी हुई, तो हजारों परिवार रेगिस्तान की रेत की तरह बिखर जाएंगे,” – ऑल बंगाल पीएचई कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन का आह्वान।
