
मई माह के दूसरे रविवार, “मदर्स डे” के पावन एवं भावनात्मक दिन पर, प्रसिद्ध कवियत्री, गीतकार, साहित्यकार, वक्ता एवं समाज सेविका झरना भट्टाचार्य के चौथे काव्य संग्रह “भाषा भाषा” का विमोचन ऐतिहासिक कॉफी हाउस में एक सुखद समारोह में हुआ। यह पुस्तक बार्टा पब्लिशिंग हाउस द्वारा प्रकाशित की गई थी।
कार्यक्रम में उपस्थित साहित्य प्रेमियों में उत्साह देखने लायक था। पुस्तक के बारे में कवि ने कहा, “मैंने जन्म से ही अपनी मां की भाषा सुनी है और यह एक बड़ी उपलब्धि है कि मेरी पुस्तक उस मां को समर्पित दिन पर प्रकाशित हुई है।”
कविता पुस्तक “भाषा भाषा” की विषय-वस्तु के बारे में पूछे जाने पर झरना भट्टाचार्य ने कहा, “मैंने पुस्तक में कुछ कविताएं बुनी हैं, जो मन की उन गलियों में शब्दों की रोशनी बुनती हैं, जो अंधेरी रहती हैं।”
कवियत्री झरना भट्टाचार्य ने लंबे समय से अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों के मन की गहराई पर प्रकाश डाला है। “लैंग्वेज इन लैंग्वेज” उनका एक और शानदार एपिसोड है।
आशा है कि यह नया संग्रह बंगाली कविता और साहित्य के भंडार को समृद्ध करेगा।