नदिया हुल दिवस 2025: संताल विद्रोह की गूंज और आज़ादी के संदेश का उत्सव

29 और 30 जून को नदिया जिले के कुटीर पारा, माजदिया में “नदिया हुल दिवस 2025” का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन श्री रामकृष्ण परमहंस सेवा ट्रस्ट और आनंदमयी एजुकेशनल ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से दिशारी संस्था द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में ऑल इंडिया एनजीओ वेलफेयर एसोसिएशन मुख्य आयोजक रहा, जबकि शांतिपुर सेतु और कृष्णानगर लायंस क्लब ने इस ऐतिहासिक पहल को सक्रिय समर्थन प्रदान किया।

‘हुल’ का अर्थ है विद्रोह या स्वतंत्रता संग्राम। यह दिवस विशेष रूप से 30 जून 1855 को हुए संताल विद्रोह की स्मृति में मनाया जाता है — एक ऐसा जनआंदोलन जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन, जमींदारी प्रथा, साहूकारी उत्पीड़न और अन्यायपूर्ण राजस्व व्यवस्था के खिलाफ आदिवासी अस्मिता की हुंकार भरी थी।

इस ऐतिहासिक विद्रोह का नेतृत्व चार वीर भाइयों — सिद्धू, कान्हू, चांद और भैरव मुर्मू — ने किया था। उन्होंने अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, वह आज भी भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अंकित है।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने हुल विद्रोह के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला और युवाओं से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, जनजागरूकता सत्रों और सम्मान समारोहों के माध्यम से स्थानीय लोगों ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

नदिया हुल दिवस 2025 न सिर्फ एक स्मृति है, बल्कि यह वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने और संघर्ष करने की प्रेरणा भी है।

नदिया हुल दिवस 2025: संताल विद्रोह की गूंज और आज़ादी के संदेश का उत्सव

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