विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस और फादर्स डे की पूर्व संध्या पर, ऑल बंगाल मेन्स फोरम (ABMF) ने एक मार्मिक चर्चा का आयोजन किया – जिसका शीर्षक था “बुजुर्गों का ख्याल रखें”। इस पहल ने एक नए सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की – “बुजुर्गों के साथ सहज रहें” – जो समाज में वरिष्ठ नागरिकों के प्रति करुणा और जिम्मेदारी का संदेश देता है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल हुईं – डॉ. धीरेश चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत नारायण चटर्जी, पूर्व आईपीएस अधिकारी सुजॉय कुमार चंदा, मृणाल बिस्वास और डॉ. देबांजन बनर्जी।
उन्होंने समाज में मौजूद वास्तविक समस्याओं को स्पष्ट रूप से उजागर किया। चर्चा के मुख्य विषय थे:
हालाँकि सरकारी योजनाएँ और योजनाएँ हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
बुजुर्गों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा नहीं है और जागरूकता की कमी स्पष्ट है।
इस समस्या के समाधान के लिए समाज के हर स्तर से सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
बैठक में वक्ताओं ने कहा, “वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा समाज के मानसिक पतन का संकेत है। इस गलती को सुधारना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।”
इस मानवीय पहल की सूत्रधार, प्रख्यात एमआरए नंदिनी भट्टाचार्य और उनकी एबीएमएफ टीम – जिन्होंने इस मुद्दे को लगातार सामने लाया है – विशेष रूप से सराहना की जाती है।
इस चर्चा के माध्यम से समाज में एक उम्मीद भरा संदेश फैला –
“बुजुर्गों का ख्याल रखें, क्योंकि वे न केवल अतीत का हिस्सा हैं, बल्कि वे भविष्य के मार्गदर्शक भी हैं।”
