महेश के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में इस वर्ष भी पारंपरिक आस्था और उत्साह के साथ स्नान यात्रा उत्सव मनाया गया। यह आयोजन रथयात्रा की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है और हर वर्ष की तरह इस बार भी हजारों श्रद्धालुओं ने इस शुभ अवसर पर भाग लिया।
सुबह होते ही श्रीजगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को मंदिर से बाहर लाकर स्नान पिरी मैदान में स्थित विशेष स्नान मंच पर ले जाया गया। वहां विधिपूर्वक स्नान यात्रा की शुरुआत हुई। परंपरा के अनुसार, तीनों देवताओं को 28 गैलन पवित्र गंगाजल और डेढ़ मन दूध से स्नान कराया गया। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष अभिषेक के बाद देवताओं को “बुखार” चढ़ता है, जिसके कारण मंदिर को कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है और देवताओं को ‘कबीराज’ (वैद्य) का भोजन देकर आराम कराया जाता है।
इस धार्मिक अनुष्ठान को देखने के लिए स्नान पिरी मैदान में अपार श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। ढोल-नगाड़ों, शंखध्वनि और मंत्रोच्चार के बीच स्नान का यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक और भक्तिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ।
इस आयोजन के साथ ही महेश की ऐतिहासिक रथयात्रा की उलटी गिनती भी शुरू हो गई है। परंपरा के अनुसार, रथयात्रा के दिन तीनों देवताओं को भव्य रथों में बैठाकर उनकी मौसी के घर ले जाया जाएगा, जहां उत्सव का चरम देखा जाएगा।
महेश की यह रथयात्रा और स्नान यात्रा बंगाल की सांस्कृतिक विरासत और भक्ति परंपरा का एक अनमोल हिस्सा है, जो हर वर्ष न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को बल्कि दूर-दराज़ से आए भक्तों को भी जोड़ती है।
