हेला कौशिक समुदाय का 35वां वार्षिकोत्सव और राष्ट्रीय सम्मेलन अत्यंत गरिमा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम पश्चिम बंगाल ज्वालामुखी हेला जातीय समुदाय समिति द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें देश और विदेश से अनेक विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया।
समारोह का उद्देश्य केवल वार्षिकोत्सव मनाना नहीं था, बल्कि यह हेला समुदाय की शक्ति, योगदान और एकता को प्रदर्शित करने का एक मंच भी बना। कार्यक्रम में भारत के साथ-साथ बांग्लादेश से भी प्रतिनिधि शामिल हुए। बांग्लादेश से पधारे प्रतिनिधि श्री कृष्ण हेला ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे श्री आनंद विश्वास, अध्यक्ष – एसबीआई एससी/एसटी एवं ओबीसी कर्मचारी परिषद, जिन्होंने मंच को अपनी गरिमामयी उपस्थिति से विभूषित किया और अपने वक्तव्य में कहा, “अनुसूचित जाति जनजाति संयुक्त मोर्चा” की स्थापना की दिशा में हेला समुदाय का यह प्रयास अत्यंत प्रशंसनीय है।
विशेष अतिथियों में सम्मिलित थे:
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श्री रंजीत चौधरी (प्रबंधक, एसबीआई शाखा टीटागढ़)
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मधु मिश्रा एवं मुजीबर्रहमान (काउंसिलर, टीटागढ़ वार्ड 23)
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श्री प्यारेलाल चौधरी (कोलकाता चौधरी पासी समाज)
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श्री अब्दुल्ला जस्सी (अध्यक्ष, आदि धर्म सेवा समिति)
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श्रीमती खुशी दास (अध्यक्षा, अखिल भारतीय महादलित परिसंघ)
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श्री सुभाष चौधरी (अध्यक्ष, कोलकाता निषाद मल्लाह विकास समाज)
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श्री रामू बांसफोर (बांसफोर्स समाज)
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श्री किशुन हरि, श्री रवि हरि, श्री लक्ष्मण हरि (पश्चिम बंगाल हाड़ी जाति कल्याण समिति)
इस अवसर पर “अखिल भारतीय योग्यता वाले हेला जातीय महापरिसंघ” की स्थापना की घोषणा की गई। दिल्ली से पधारे श्री संतोष राज हेला को इस महापरिसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। साथ ही, महिला राज्य समिति की अध्यक्ष के रूप में दमदम निवासी श्रीमती मंज़िल तिलक को बंगाल का मठाधीश नियुक्त किया गया।
सम्मेलन में उपस्थित अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों में शामिल रहे:
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डॉ. ओपी शुक्ला (प्रमुख, सुप्रीम कोर्ट)
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श्री तुलसी दास (आराध्य, पश्चिम बंगाल उच्च न्यायालय)
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श्री अमर राज मांजरे (अध्यक्ष, महाराष्ट्र जातीय समुदाय)
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श्री आकाश कुमार (राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंद क्रांतिकारी सेना, दिल्ली)
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श्री मनीष पांचाल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, मानव रूप दर्शन एनजीओ, नई दिल्ली)
सभी अतिथियों ने मंच से समुदाय की एकता, शिक्षा और संगठनात्मक शक्ति की खुले हृदय से प्रशंसा की और भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।
