सीके बिरला हॉस्पिटल – सीएमआरआई, कोलकाता ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की कि उसने भारत के पहले मल्टीसेंट्रिक ट्रायल “सुपरनोवा स्टेंट रिट्रीवर” में सफलतापूर्वक भाग लिया है। यह ट्रायल हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसे स्ट्रोक केयर और मेडिकल इनोवेशन के क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।
पूर्वी भारत से केवल सीएमआरआई ही इस ट्रायल में शामिल हुआ। इस अवसर पर सीएमआरआई के प्रोफेसर ऑफ न्यूरोलॉजी एवं कंसल्टेंट न्यूरोइंटरवेंशनलिस्ट डॉ. दीप दास ने कहा, “यह देश का पहला मल्टीसेंटर अध्ययन है जो नए स्टेंट रिट्रीवर डिवाइस के वैलिडेशन पर केंद्रित है। यह उपलब्धि भारत की उच्च गुणवत्ता वाली मेडिकल रिसर्च और डिवाइस वैलिडेशन क्षमता को दर्शाती है।”
यह नया स्टेंट रिट्रीवर स्ट्रोक इंटरवेंशन डिवाइस की लागत को 50% से भी अधिक कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है ताकि बड़े धमनी अवरोध (लार्ज आर्टरी ओक्लूजन) वाले मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी उपचार मिल सके। इस ट्रायल के ग्लोबल प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. दिलीप यवगल का मानना है कि जैसे-जैसे उन्नत स्ट्रोक केयर किफायती बनेगा, वैसे-वैसे यह जीवनरक्षक उपचार भारत के सभी वर्गों के मरीजों के लिए अधिक सुलभ हो सकेगा।
सीएमआरआई, कोलकाता के यूनिट हेड श्री सोम्ब्रता राय ने कहा, “पूर्वी भारत का एकमात्र अस्पताल होने के नाते इस ट्रायल में भाग लेना हमारे लिए बड़ी जिम्मेदारी थी। यह हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हम क्लिनिकल विशेषज्ञता, रिसर्च और इनोवेशन को मिलाकर बेहतर परिणाम देने के लिए तत्पर हैं। हमें आशा है कि इस प्रकार की पहलें स्वदेशी मेडिकल तकनीक को बढ़ावा देंगी और पूरे देश के मरीजों को लाभ होगा।”
ट्रायल की सफलता के बाद अब स्थानीय स्तर पर डिवाइस निर्माण शुरू करने की तैयारी है। यह न केवल समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करेगा बल्कि “मेक इन इंडिया” पहल को भी सशक्त बनाएगा। डिवाइस के डिजाइनर डॉ. शश्वत एम. देसाई ने कहा कि इस ट्रायल ने यह साबित कर दिया है कि भारत उन्नत मेडिकल तकनीक के विकास और वैलिडेशन में नेतृत्व करने के लिए तैयार है।
ग्रैविटी मेडिकल टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित यह डिवाइस भारत में हर साल स्ट्रोक से प्रभावित होने वाले लगभग 17 लाख मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है। बैंगुर इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस, कोलकाता के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. बिमन कांति राय के अनुसार, “समय पर थ्रॉम्बेक्टॉमी उपलब्ध कराने से यह डिवाइस अनगिनत जानें बचा सकता है और मरीजों को आजीवन लकवे से बचा सकता है। यह स्ट्रोक मरीजों और उनके परिवारों के लिए नई उम्मीद है।”
सीएमआरआई के बारे में
सीके बिरला हॉस्पिटल, सीएमआरआई की स्थापना 1969 में कोलकाता में हुई थी। 440 बिस्तरों वाला यह अस्पताल एनएबीएच से मान्यता प्राप्त एक मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल है, जो समाज के सभी वर्गों को आधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है। यह शहर का पहला हॉस्पिटल है जिसने रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट की सुविधा दी। सीएमआरआई का स्ट्रोक सेंटर पूर्वी भारत का एकमात्र क्यूएआई मान्यता प्राप्त केंद्र है। इसके अलावा यहां इंटरनेशनल मानकों पर आधारित रेस्पिरेटरी आईसीयू, अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम और वेस्ट बंगाल नर्सिंग काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल भी संचालित हैं।
