सॉल्टलेक स्थित डाउनटाउन मॉल के मेवाड़ बैंक्वेट हॉल में रविवार को एक आध्यात्मिक माहौल देखने को मिला, जब सैकड़ों ओशो प्रेमी, संन्यासी और साधक प्रसिद्ध ध्यान गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती के नेतृत्व में आयोजित विशेष ध्यान सत्संग में शामिल हुए।
सत्संग का मुख्य विषय था —
“जीवन में ध्यान का प्रभाव: संतुलन, स्वास्थ्य, शांति और आध्यात्मिक आनंद।”
स्वामीजी ने प्रारंभ में कहा,
“ध्यान केवल स्थिर होकर बैठने का कार्य नहीं है; यह जीवन जीने का एक नया तरीका है। यह आपको आपके केंद्र से जोड़ता है, जहां से जीवन का हर पक्ष संतुलित और सुंदर हो जाता है।”
वक्तव्य के प्रमुख बिंदु
1. जीवन में संतुलन:
स्वामीजी ने कहा कि ध्यान व्यक्ति को वर्तमान क्षण में स्थापित करता है।
“जब मन अतीत और भविष्य की चिंता से मुक्त होता है, तभी वास्तविक संतुलन उभरता है।”
यह स्थिरता निर्णयों को स्पष्ट बनाती है और प्रतिक्रियाओं को सजग उत्तरों में बदल देती है।
2. शारीरिक स्वास्थ्य:
उन्होंने बताया कि तनाव और चिंता शरीर के सबसे बड़े शत्रु हैं।
“नियमित ध्यान रक्तचाप को नियंत्रित करता है, ऊर्जा बढ़ाता है और जीवनशक्ति को सुचारू रूप से प्रवाहित होने देता है।”
3. मानसिक शांति:
स्वामीजी के अनुसार, मन निरंतर विचारों से उलझा रहता है, और ध्यान व्यक्ति को उस आंतरिक मौन से परिचित कराता है जो हमेशा भीतर मौजूद होता है।
“जब आप मौन में उतरते हैं, तब समझ आता है कि आप ही शांति हैं।”
4. हृदय का विस्तार:
उन्होंने बताया कि ध्यान हृदय को खोलता है, करुणा और प्रेम को जगाता है।
“सच्चा प्रेम तभी प्रकट होता है जब मन शांत और हृदय खुला हो।”
ध्यान व्यक्ति को संबंधों में स्वीकार्यता और सामंजस्य सिखाता है।
5. आध्यात्मिक आनंद:
स्वामीजी ने कहा कि ध्यान का अंतिम फल आंतरिक आनंद है—
यह आनंद किसी बाहरी कारण पर निर्भर नहीं करता।
यह स्वयं की जागरूकता से उत्पन्न होता है और स्थायी होता है।
ओशो की दृष्टि पर स्वामीजी के विचार
“कोई ईश्वर नहीं, केवल ईश्वरत्व”
स्वामीजी ने कहा कि ईश्वर कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक उपस्थिति है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर की दिव्यता को अनुभव करता है।
“कोई धर्म नहीं, बल्कि धार्मिकता”
उन्होंने कहा कि सच्चा धर्म किसी संस्था या ग्रंथ में नहीं, बल्कि जागरूकता में निहित है।
ध्यान व्यक्ति को कठोर परंपराओं से मुक्त कर जीवंत धार्मिकता की ओर ले जाता है, जहाँ हर क्षण प्रेम और सजगता से जिया जाता है।
प्रश्नोत्तर और सामूहिक ध्यान
सत्संग के बाद उपस्थित साधकों ने जीवन, ध्यान और आध्यात्मिकता से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर स्वामीजी ने सरलता और गहराई के साथ दिया।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक ध्यान से हुआ, जिसमें भाग लेने वालों ने गहन शांति और हृदयस्पर्शी आनंद का अनुभव किया।
स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने संदेश दिया:
“ध्यान कोई क्रिया नहीं—यह जीवन की सबसे सुंदर अवस्था है। जब आप जागरूक होते हैं, आप न केवल शांत होते हैं बल्कि प्रेम और आनंद से भर जाते हैं।”
स्वामीजी के कोलकाता प्रवास की अन्य गतिविधियाँ
ओशो के छोटे भाई और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आध्यात्मिक वक्ता स्वामी शैलेंद्र सरस्वती, जो एक स्वर्णपदक प्राप्त एमबीबीएस डॉक्टर भी रहे हैं, इन दिनों कोलकाता में आध्यात्मिक एवं प्रेरणादायक कार्यक्रमों की श्रृंखला चला रहे हैं।
1 नवंबर को उन्होंने कोलकाता प्रेस क्लब में शांति और सद्भाव पर एक विशेष सेमिनार आयोजित किया, जिसमें उनके भक्तों और विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।
2 नवंबर को उन्होंने सॉल्टलेक में समग्र स्वास्थ्य के लिए ध्यान कार्यशाला का भी संचालन किया।

