प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के सच्चे अग्रदूत डॉ. सुभाष मुखर्जी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के उद्देश्य से, बंगाल ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसायटी (BOGS) ने एक विशेष फोटो गैलरी का निर्माण किया है। इस पहल का नेतृत्व BOGS अध्यक्ष डॉ. बसब मुखर्जी ने किया, जो डॉ. मुखर्जी की वैज्ञानिक उपलब्धियों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास है।
1978 में, जब पूरी दुनिया ब्रिटेन में पहले IVF शिशु के जन्म की चर्चा कर रही थी, उसी वर्ष डॉ. सुभाष मुखर्जी ने कोलकाता में दुनिया के दूसरे IVF शिशु को जन्म देने में सफलता प्राप्त की। यह एक क्रांतिकारी उपलब्धि थी, लेकिन दुर्भाग्यवश उनके इस कार्य को उस समय के चिकित्सा समुदाय द्वारा न केवल नज़रअंदाज़ किया गया, बल्कि उनके दावों का सार्वजनिक रूप से मज़ाक भी उड़ाया गया।
लगातार उपेक्षा और मानसिक दबाव के चलते, 1981 में डॉ. मुखर्जी ने आत्महत्या कर ली, जो चिकित्सा जगत के लिए एक गहरा धक्का था। वर्षों बाद, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने उनके कार्य को मान्यता दी और उनके योगदान को स्वीकार किया।
डॉ. मुखर्जी के सहयोगी, क्रायोबायोलॉजिस्ट डॉ. सुनीत मुखर्जी, जिन्होंने उनके साथ मिलकर काम किया था, ने उनके प्रयोगों से जुड़ी यादगार वस्तुओं को संरक्षित रखा। अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने इन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों और वस्तुओं को BOGS को दान कर दिया, जिससे यह गैलरी संभव हो पाई।
इस वर्ष आयोजित कार्यक्रम में BOGS ने न केवल यह फोटो गैलरी प्रस्तुत की, बल्कि डॉ. मुखर्जी के समकालीन सहयोगियों और मित्रों को आमंत्रित किया, जिन्होंने उस युग की स्मृतियों को साझा कर उन्हें एक बार फिर जीवित कर दिया।
यह फोटो गैलरी न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है—एक ऐसे वैज्ञानिक की, जिसने समय से पहले विज्ञान को समझा और उसके लिए अपनी कीमत चुकाई।
BOGS की यह पहल भारतीय चिकित्सा इतिहास में डॉ. सुभाष मुखर्जी के योगदान को ससम्मान स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
