एक महत्वपूर्ण बहस का आयोजन किया गया, जिसका विषय था— “तकनीकी प्रगति मानव सभ्यता के लिए खतरा है”। इस बहस का संचालन मॉडरेटर श्री अभिजीत देब ने किया।
पक्ष में तर्क रखने वाले वक्ता:
★ प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक श्री गौतम घोष
★ प्रो. (डॉ.) सब्यसाची बोसु राय चौधुरी, पूर्व कुलपति, रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय
★ डॉ. केदाररंजन बनर्जी, मनोचिकित्सक
★ श्रीमती तुलिका दास, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (WBCPCR)
★ श्री गौतम डे, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR)
विरोध में तर्क रखने वाले वक्ता:
★ डॉ. श्यामल चक्रवर्ती, वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष, रसायन विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय
★ समाजसेवी, फ़िल्म निर्देशक एवं अभिनेत्री श्रीमती सुदेशना राय
★ श्री सौम्येन बसु, पूर्व कार्यक्रम प्रमुख, आकाशवाणी
★ श्री ध्रुवज्योति डे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त
★ राजनेता डॉ. दीप्सिता धर
इस बहस में एक ओर जहाँ पक्षधर वक्ताओं ने कहा कि तकनीकी प्रगति ने इंसान को मशीनों का गुलाम बना दिया है और यह मानव मूल्यों तथा सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचा रही है, वहीं विरोध करने वाले वक्ताओं ने तर्क दिया कि तकनीकी विकास ही सभ्यता को आगे बढ़ा रहा है और इसके बिना मानव जीवन की कल्पना अधूरी है।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविद, छात्र-छात्राएँ और बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। बहस में रखे गए विचारों ने दर्शकों को गहन चिंतन के लिए प्रेरित किया।
