कोलकाता के टालीगंज स्थित संबोधि बुद्ध विहार में इस वर्ष प्रवारणा पूर्णिमा का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए यह एक अत्यंत पुण्यदायी अवसर माना जाता है। इस अवसर पर विहार के निदेशक डॉ. अरुणज्योति भिक्षु के नेतृत्व में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
बौद्ध धर्मावलंबी हर वर्ष पुण्य की आशा में त्रैमासिक वर्षावास ब्रत का पालन करते हैं। इस दिन भक्तजन बौद्ध भिक्षुओं को त्रिचीवर या चार भागों वाले परिधान का दान करते हैं। परंपरा के अनुसार, आषाढ़ी पूर्णिमा से आरंभ होने वाले वर्षावास के उपलक्ष्य में यह दान दिया जाता है। इस विशिष्ट वस्त्र को सूर्योदय से सूर्यास्त तक कपास से सूत कातकर, स्वयं बुनाई कर, गेरुए रंग में रंगकर और धार्मिक विधि-विधान के साथ तैयार किया जाता है।
इस वर्ष टालीगंज के म्यूर एवेन्यू बौद्ध समिति की पहल पर 75वां कठिन चीवर दानोत्सव मनाया गया। इस पवित्र आयोजन में देश-विदेश से आए बौद्ध भिक्षुओं ने भाग लिया। श्रद्धालु भक्तों ने भक्ति और सम्मान के साथ भिक्षुओं को चीवर अर्पित किया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मों के लोग भी सम्मिलित हुए, जिससे सौहार्द और एकता का संदेश प्रसारित हुआ।
कार्यक्रम के अंत में क्षेत्र की शांति और जनकल्याण की कामना करते हुए फानूस उड़ाए गए तथा बौद्ध भिक्षुओं द्वारा एक पदयात्रा भी निकाली गई। इस पदयात्रा का नेतृत्व डॉ. अरुणज्योति भिक्षु ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा,
“वर्तमान समय में भगवान गौतम बुद्ध के दिखाए मार्ग की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। हमें सभी को उसी मार्ग पर चलकर समाज में शांति, करुणा और सद्भाव स्थापित करना चाहिए।”
