साउथ सिटी इंटरनेशनल स्कूल (SCIS) ने गर्वपूर्वक CISCE Inspire Series के पाँचवें संस्करण में भाग लिया, जिसमें एक प्रेरणादायक लाइव वेबिनार — “Igniting Minds, Exploring Frontiers” आयोजित किया गया। इस विशेष सत्र के मुख्य वक्ता थे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायु सेना के विशिष्ट टेस्ट पायलट एवं इसरो के गगनयान मिशन के अंतरिक्ष यात्री।
यह सत्र विद्यार्थियों के लिए एक अद्भुत प्रेरणादायक यात्रा बन गया — जो उन्हें साधारण सीमाओं से बहुत आगे, कल्पना, खोज और वैज्ञानिक चमत्कारों के अनंत ब्रह्मांड तक ले गया। यह केवल एक शैक्षणिक अनुभव नहीं था, बल्कि एक “जागरण की यात्रा” थी, जहाँ युवा जिज्ञासा ने ब्रह्मांड की विशालता से संवाद किया।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला के प्रेरक संबोधन ने हर श्रोता के मन को छू लिया। उन्होंने अपने अंतरिक्ष प्रशिक्षण, अनुभवों और उन अनगिनत संभावनाओं के बारे में बताया जो सपने देखने और उन्हें साकार करने वालों के लिए अंतरिक्ष में मौजूद हैं। उन्होंने अंतरिक्ष को केवल एक भौतिक सीमा नहीं, बल्कि “अज्ञात की दुनिया” बताया — जहाँ नियम बदल जाते हैं, दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है और अस्तित्व की विशालता का बोध गहराई से होता है।
उन्होंने अंतरिक्ष की निस्तब्धता पर भी प्रकाश डाला और समझाया कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में चलना, खाना या विश्राम करना भी एक नया अनुभव बन जाता है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक किस प्रकार शून्य गुरुत्व में क्रांतिकारी प्रयोग करते हैं — जैसे स्टेम सेल्स पर अध्ययन से लेकर मांसपेशियों के क्षय को समझने तक — जो पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
सबसे भावुक क्षण तब आया जब ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष से कोई सीमाएँ नहीं दिखतीं — केवल एक ग्रह, एक घर दिखता है।” पृथ्वी को एक ही रूप में चमकते देख उन्होंने विनम्रता और विस्मय दोनों का अनुभव किया और यह महसूस किया कि हम सभी एक ही धरती के नागरिक हैं।
छात्र पूरी तरह मंत्रमुग्ध होकर उनकी कहानियाँ सुनते रहे और बाद में एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया। विद्यार्थियों ने भारत के अंतरिक्ष लक्ष्यों, कक्षीय स्थायित्व (sustainability in orbit), और आगामी भारती स्पेस स्टेशन जैसे विषयों पर रोचक प्रश्न पूछे। चर्चाओं ने यह सन्देश और भी प्रबल किया कि सफलता के लिए दृढ़ संकल्प, दृष्टि और अनुशासन अनिवार्य हैं।
इस प्रेरणादायक अनुभव पर विचार व्यक्त करते हुए साउथ सिटी इंटरनेशनल स्कूल की कार्यवाहक प्रिंसिपल श्रीमती रूपिका नाथ ने कहा —
“ग्रुप कैप्टन शुक्ला के शब्दों ने हमारे छात्रों की कल्पना को सचमुच प्रज्वलित कर दिया। उनकी यात्रा ने हमें याद दिलाया कि साहस, अनुशासन और दृष्टि ही महानता के स्तंभ हैं। यह देखना सुखद था कि हमारे विद्यार्थी सीमाओं से परे सोचने और यह विश्वास करने के लिए प्रेरित हुए कि तारे दूर नहीं — वे उन लोगों के लिए गंतव्य हैं जो सपने देखने का साहस रखते हैं।”
यह वेबिनार मात्र एक जानकारीपूर्ण सत्र नहीं था — यह एक प्रेरणा की चिंगारी बन गया, जिसने युवा मस्तिष्कों को सीमाओं से आगे सोचने और उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होने का उत्साह दिया।
