हुगली जिले के बलागढ़ स्थित रस सतदल संघ का प्रसिद्ध रस उत्सव इस वर्ष अपने 35वें वर्ष में प्रवेश कर गया। परंपरा और आधुनिकता का সুন্দর সমन्वय करते हुए इस बार पंडाल को एक अनोखे थीम में सजाया गया है। कोलकाता के प्रसिद्ध त्रिधारा मंडप से प्रेरणा लेकर कलाकार गौरांग कुइल्यार ने एक आकर्षक काल्पनिक पहाड़ी मंदिर का रूप तैयार किया है, जो दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है।
इस उत्सव का प्रमुख केंद्र बिंदुबासिनी और राधा-कृष्ण पूजा है। बंगाल की सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की अद्भुत मिसाल है यह रस उत्सव—क्योंकि पूजा समिति में लगभग दस मुस्लिम समुदाय के सदस्य सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और उत्सव के सभी कार्यों में समान रूप से भाग लेते हैं।
इस वर्ष का विशेष आकर्षण यह है कि ठाकुर आगमन की शोभायात्रा में विदेशी कलाकार नृत्य और गीत प्रस्तुत करते हुए शामिल होंगे। वहीं मायापुर की परंपरा के अनुसार दर्शकों को आठ सखियों—ललिता, विशाखा, चित्रा, चंपकलता, तुंगविद्या, इंदुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी—की सुंदर झांकियों के दर्शन हो रहे हैं।
नवद्वीप से आए कृष्णलीला और कीर्तन दल अपने नृत्य-गान से उत्सव में भक्ति और आनंद का माहौल रच रहे हैं। पूजा में मंगल आरती के बाद ठाकुर को माखन, मिश्री, मिठाई और लूची का भोग अर्पित किया जाता है।
परंपरा, भक्ति और सांप्रदायिक एकता का अद्भुत संगम लिए इस वर्ष का बलागढ़ रस उत्सव भक्तों और आगंतुकों के लिए यादगार बन गया है।

