चिकित्सा जगत में एक अभूतपूर्व उपलब्धि दर्ज करते हुए नारायणा आर.एन. टैगोर अस्पताल, मुखुंदपुर के डॉक्टरों ने भूटान के एक युवा रोगी पर दुनिया का पहला अपने तरह का किडनी प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक पूरा किया। यह रोगी अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक रक्तस्राव विकार फ़ैक्टर VII डेफिशिएंसी से पीड़ित था—यह बीमारी दुनिया में लगभग हर पचास लाख लोगों में से मात्र एक में पाई जाती है। इस तरह का सफल प्रत्यारोपण दुनिया में पहली बार हुआ है, जो जटिल और उच्च जोखिम वाले मामलों के उपचार में नारायणा हेल्थ की विशेषज्ञता को वैश्विक स्तर पर स्थापित करता है।
सबसे बड़ी चुनौती थी—रोगी के लिए उपलब्ध एकमात्र दाता उसका पिता, जो स्वयं इसी आनुवंशिक दोष का वाहक थे। गहन विचार-विमर्श, नैतिक मूल्यांकन और बहु-विषयक टीम की विस्तृत समीक्षा के बाद इस प्रत्यारोपण को अत्यंत सावधानीपूर्वक सम्पन्न किया गया। इसी कारण यह प्रत्यारोपण चिकित्सा इतिहास की एक अनूठी उपलब्धि बन गया।
मामले की जटिलता पर प्रकाश डालते हुए डॉ. दीपक शंकर रे, कंसल्टेंट एवं चीफ नेफ्रोलॉजिस्ट (रीनल ट्रांसप्लांट प्रोग्राम), ने कहा,
“यह केस हमारे सामूहिक समन्वय और शल्य-कौशल की सीमाओं को परखने वाला था। रोगी को मामूली रक्तस्राव भी जानलेवा हो सकता था। एनेस्थीसिया से लेकर टांके लगाने तक हर कदम वास्तविक समय के क्लॉटिंग पैरामीटर के अनुसार नियंत्रित करना पड़ा। यह सफलता टीमवर्क, सूक्ष्म योजना और परिवार के भरोसे का परिणाम है। हम विशेष रूप से सर्जिकल टीम से डॉ. तर्शीद अली जहांगीर और एनेस्थीसिया टीम से डॉ. तितिसा सरकार मित्रा का योगदान सराहते हैं।”
दुर्लभ रक्तस्राव विकार के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. सिसिर कुमार पात्रा, कंसल्टेंट–हीमैटोलॉजी, ने कहा,
“सीवियर फ़ैक्टर VII डेफिशिएंसी इतनी दुर्लभ है कि दुनिया में लगभग पचास लाख में केवल एक व्यक्ति ही इससे प्रभावित होता है। बहुत कम फ़ैक्टर VII होने पर जानलेवा रक्तस्राव हो सकता है, वहीं अधिक होने पर घातक खून के थक्के बन सकते हैं। ऑपरेशन के दौरान हमें मिनट-टू-मिनट अत्यंत संकीर्ण सुरक्षा सीमा में रहकर मरीज को संतुलित रखना पड़ा। आज पिता और पुत्र दोनों स्वस्थ हैं—यह हमारे लिए अत्यंत संतोष की बात है।”
ऑपरेशन के बाद भी चुनौतियाँ रहीं। रोगी को एक छोटे से थक्के के कारण अस्थायी लकवा हुआ, लेकिन नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और हीमैटोलॉजी टीमों की संयुक्त देखरेख में वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। उसकी क्रिएटिनिन रिपोर्ट सामान्य है और वह अब स्वस्थ जीवन जी रहा है।
उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए श्री अभिजीत सी.पी., डायरेक्टर एवं क्लस्टर हेड–कोलकाता, नारायणा हेल्थ (ईस्ट), ने कहा,
“हमारी टीम ने केवल एक दुर्लभ सर्जरी ही नहीं की, बल्कि ‘दुर्लभतम में भी दुर्लभ’ मामले को सफलतापूर्वक संभाला। यह पूर्वी भारत को वैश्विक चिकित्सा मानचित्र में नई पहचान देता है।”
इसके साथ ही समूह सीओओ, नारायणा हेल्थ, श्री आर. वेंकटेश ने कहा,
“नारायणा हेल्थ सदैव चिकित्सा संभावनाओं की सीमाओं को आगे बढ़ाने और सर्वोच्च नैतिक मानदंडों का पालन करने में विश्वास रखता है। यह सफल प्रत्यारोपण बहु-विषयक सहयोग, अंतरराष्ट्रीय श्रेष्ठ व्यवहार और मानव-केन्द्रित सेवा का प्रमाण है। हम अपनी टीम और परिवार के भरोसे के लिए आभारी हैं।”
इस असाधारण मामले ने अपनी नैदानिक विरलता और नैतिक जटिलताओं के कारण भारत और विदेशों के विशेषज्ञ चिकित्सकों का व्यापक ध्यान आकर्षित किया है।
नारायणा आर.एन. टैगोर अस्पताल, मुखुंदपुर के बारे में
नारायणा आर.एन. टैगोर अस्पताल, कोलकाता, 681-बेड वाला, JCI एवं NABH-मान्यता प्राप्त सुपरस्पेशलिटी अस्पताल है, जो ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाईपास, मुखुंदपुर में स्थित है। यह पूर्वी भारत के प्रमुख चिकित्सा केंद्रों में से एक है, जो कार्डियक साइंसेज (हार्ट ट्रांसप्लांट सहित), रीनल साइंसेज (किडनी ट्रांसप्लांट सहित), गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंसेज (लिवर ट्रांसप्लांट सहित), न्यूरोसाइंसेज, कैंसर केयर, ऑर्थोपेडिक्स तथा अन्य उन्नत चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करता है।

